क्या मोदी अपने ही प्यादे के बीच फंसे ?
सोशल मीडिया में फेलाई खबर सत्यापित नहीं है।


इस जमाने में भला कौन किसके लिए इस कदर रुसवा होता है
मेरे घर जलाने वालों की आंखों में भी कहां शिकन ए धुआं होता है’
सबसे बड़े भगवा झंडाबरदार को लगता है किसी की बुरी नज़र लग गई है, अब न तो सड़कों का शोर ही यतीम है और न ही संसद कोई मौन दर्शक बनी हुई है, दोनों ही जगह लगभग बराबर का हंगामा बरपा हुआ है और शायद 10-11 सालों में पहली बार केंद्र की सरकार इतनी ‘बैकफुट’ पर दिख रही है। अभी सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से अटकलों का बाजार गर्म है कि भारतीय राजनीति के सबसे बड़े शीर्ष पुरुष को उनके ही एक करीबी दोस्त ने धोखा दे दिया है। अगर इस मामले की गहराई से तफ्तीश करें तो तस्वीर कुछ अलहदा ही उभरती है।
दरअसल, यह सारा का सारा संग्राम एस.जयशंकर बनाम अजित डोभाल के दरम्यान छिड़ा है। पिछले दिनों जब चीनी विदेश मंत्री भारत के दौरे पर आए तब ही दिख गया था कि हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर की भूमिका बेहद संक्षिप्त, बस खानापूर्ति करने वाली थी। चीनी विदेश मंत्री से जितनी भी महत्वपूर्ण रणनैतिक व कूटनीतिक बातें हुईं उसके सूत्रधार एनएसए अजित डोभाल ही थे। सूत्रों की मानें तो ’ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से लगातार जयशंकर का ग्राफ नीचे गिरा है, तब पीएम ने उनसे कहा था कि ’वे कम से कम 8-10 देशों मसलन मॉरीशस, श्रीलंका, भूटान जैसे मुल्कों का समर्थन भारत के पक्ष में जुटा लें’, पर ऐसा हो नहीं पाया।
अमेरिका व ट्रंप के लिए जयशंकर पीएम से कहते रहे कि ’आप इनकी चिंता न करें, मैं इन्हें संभाल लूंगा।’ पर जब मोदी ट्रंप से मिले और उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के समक्ष जयशंकर का जिक्र किया तो ट्रंप ने छूटते ही पूछा-’हू इज़ जयशंकर?’ यानी ये जयशंकर कौन हैं?, ट्रंप ने मोदी से आगे कहा कि ’हमें आपस में जो भी बातें करनी है हम वन-टू-वन कर सकते हैं।’ यानी जयशंकर ने मोदी के समक्ष जो सारे पैंतरे बांधे थे कि वे अमेरिका के बेहद करीबी हैं, उनके इस दावे की हवा निकल गई। उल्टे ट्रंप ने भारत की फजीहत करना जारी रखा। सूत्रों की मानें तो डोभाल कैंप को भी ऐसा लगने लगा था कि डोभाल के रिटायरमेंट के बाबत की खबरें, उनके पुत्र के बारे में ऊटपंटाग की खबरें भी जयशंकर कैंप की ओर से प्लांट हो रही हैं।
इसके बाद ही डोभाल कैंप ने भी पलटवार के लिए कमर कस ली, और जयशंकर पुत्र ध्रुव जयशंकर को निशाने पर लिया गया जो इन दिनों अंबानी के स्वामित्व वाले ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाऊंडेशन’ के अमेरिका प्रमुख हैं, उनके बारे में दावा हो रहा है कि वे भारत की प्रमुख रणनैतिक खबरें अमेरिका को लीक करते हैं। जयशंकर बनाम डोभाल की इस आपसी टंकार से केंद्र सरकार की पेशानियों पर भी बल हैं।