मोकामा हत्याकांड से गरमाई बिहार की सियासत: दुलारचंद यादव की मौत ने बदल दिया चुनावी समीकरण

Edited By: Jay Dubey
Updated At: 13 November 2025 23:44:43

रिपोर्ट – टाइम्स भारत न्यूज़ | पटना

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा में घटित दुलारचंद यादव हत्या कांड ने प्रदेश की राजनीति को हिला दिया है। 75 वर्षीय दुलारचंद यादव, जो कभी लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते थे और अब प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के साथ सक्रिय थे, की 30 अक्टूबर 2025 को गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस वारदात में जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली नेता अनंत कुमार सिंह का नाम सामने आया है।

घटनाक्रम

घटना मोकामा विधानसभा क्षेत्र के बसावनचक गांव के पास उस समय हुई जब दुलारचंद यादव जन सुराज के उम्मीदवार के लिए प्रचार कर रहे थे। पुलिस एफआईआर के अनुसार, जन सुराज और जेडीयू समर्थकों के बीच झड़प के दौरान अनंत सिंह ने कथित रूप से पिस्टल निकालकर गोली चलाई, जिससे दुलारचंद के पैर में गोली लगी। इसके बाद भीड़ ने उन्हें पीटा और एक थार गाड़ी से कई बार कुचल दिया।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि मौत गोली से नहीं बल्कि सीने और फेफड़ों पर blunt force trauma से हुई — यानी भारी वाहन से कुचलने के कारण।

इस घटना के तुरंत बाद दुलारचंद यादव को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले में अनंत सिंह, मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। तीनों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

दुलारचंद यादव और अनंत सिंह की दुश्मनी नई नहीं थी। 1990 के दशक से ही दोनों मोकामा की राजनीति में वर्चस्व की लड़ाई लड़ते रहे हैं। दोनों पर हत्या, रंगदारी और हथियारों से जुड़े कई मामले दर्ज रहे हैं। मोकामा को हमेशा से “क्राइम एंड पॉलिटिक्स का कॉकटेल” कहा जाता है — जहां सत्ता और बाहुबल का गहरा रिश्ता रहा है।

अनंत सिंह, जिन्हें “छोटा सरकार” कहा जाता है, पहले आरजेडी के टिकट पर विधायक रह चुके हैं, लेकिन अब जेडीयू के प्रत्याशी हैं। वहीं दुलारचंद जन सुराज के बढ़ते जनाधार को संभाल रहे थे।

चुनावी असर

यह हत्या बिहार चुनाव के तीसरे चरण से ठीक पहले हुई, जिससे पूरे राज्य का चुनावी माहौल बदल गया है। विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार सरकार और एनडीए पर कानून-व्यवस्था की विफलता का आरोप लगाया है। आरजेडी और कांग्रेस ने इस घटना को “जंगलराज 2.0” का उदाहरण बताया, वहीं जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इसे “बाहुबल की राजनीति का अंत” कहने की मांग की।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मोकामा ही नहीं बल्कि पूरे मगध और पटना क्षेत्र की 15–20 सीटों पर इसका असर पड़ सकता है। ग्रामीण मतदाताओं में गुस्सा और भय दोनों दिखाई दे रहे हैं। जन सुराज के लिए यह सहानुभूति लहर का कारण बन सकता है, जबकि जेडीयू को नुकसान झेलना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

दुलारचंद यादव की हत्या ने न सिर्फ मोकामा बल्कि पूरे बिहार की चुनावी बहस को “कानून बनाम बाहुबली राजनीति” के मुद्दे पर खड़ा कर दिया है। राज्य में सुरक्षा व्यवस्था, अपराध और राजनीतिक संरक्षण जैसे सवाल फिर से उठ खड़े हुए हैं। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की सियासत में अपराध और राजनीति का संगम अभी खत्म नहीं हुआ — बल्कि यह चुनाव 2025 में एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।


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