Nepal PM Oli Resign LIVE: नेपाल में भारी हिंसा और पीएम ओली के इस्‍तीफे के बाद भारत सतर्क, भारतीय नागरिकों के लिए जारी की चेतावनी

Edited By: Jay Dubey
Updated At: 28 September 2025 11:07:08

नेपाल संकट: केपी ओली का इस्तीफा, जेन-ज़ी प्रदर्शन और भविष्य की राजनीति | गहन विश्लेषण from nepal border jogbani

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नेपाल का सोशल मीडिया विद्रोह: राजनीतिक अस्थिरता का नया अध्याय

नेपाल इस समय अपने हालिया इतिहास के सबसे बड़े युवा विद्रोह का सामना कर रहा है। सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ छात्रों का आंदोलन अब देश के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल चुका है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा, मंत्रिमंडल के 10 से अधिक सदस्यों का पद छोड़ना और राष्ट्रपति को सेना के संरक्षण में ले जाना—ये घटनाएं बताती हैं कि यह सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि सत्ता संतुलन का निर्णायक मोड़ है।

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध: चिंगारी जिसने आग भड़काई

सरकार का फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का फैसला एक तरह से डिजिटल युग के युवाओं की अभिव्यक्ति पर चोट था। जेन-ज़ी पीढ़ी के लिए सोशल मीडिया केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि पहचान और राजनीतिक भागीदारी का माध्यम है। प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भी गुस्सा शांत नहीं हुआ क्योंकि युवाओं की मांग सिर्फ डिजिटल स्वतंत्रता नहीं, बल्कि जवाबदेह शासन और भ्रष्टाचार-मुक्त राजनीति की थी।

सत्ता की गिरावट और जनता का गुस्सा

हिंसक प्रदर्शनों और 22 मौतों के बाद ओली का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि नेपाली राजनीति में जनमत को नज़रअंदाज़ करना अब संभव नहीं रहा। 300 से ज्यादा घायल और मंत्रियों का सामूहिक इस्तीफा यह दिखाता है कि सत्ता तंत्र की जड़ें हिल चुकी हैं।

प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के घरों को जलाना, पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी पर हमला करना—यह सामान्य राजनीतिक असंतोष से कहीं आगे की बात है। यह सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ गहरे अविश्वास का प्रतीक है।

नेपाल की लोकतांत्रिक चुनौती

नेपाल एक दशक से अधिक समय से अस्थिर राजनीति से गुजर रहा है। राजशाही के पतन के बाद लोकतंत्र की स्थापना हुई, लेकिन बार-बार सरकारें गिरने और गठबंधन बदलने से जनता का विश्वास कमजोर हुआ है। सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ हुआ यह आंदोलन इस विश्वास संकट का विस्फोटक रूप है।

भारत और अंतरराष्ट्रीय चिंता

भारत ने एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी है। यह संकेत है कि नेपाल की अस्थिरता क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी चिंता का विषय है। चीन और अन्य पड़ोसी देश भी इस पर करीबी नजर रखेंगे क्योंकि नेपाल का भू-राजनीतिक महत्व दोनों महाशक्तियों के लिए अहम है।

आगे की राह

संभावित प्रधानमंत्री माने जा रहे बालेन शाह ने युवाओं से शांति की अपील की है। यह अपील महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंसा को जारी रखने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि यदि नई सरकार युवाओं की आकांक्षाओं को समझने और डिजिटल अधिकारों के साथ-साथ पारदर्शी शासन की दिशा में कदम नहीं उठाती, तो यह आंदोलन फिर से भड़क सकता है।

नेपाल के लिए यह समय आत्ममंथन का है। सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध और उसके बाद की घटनाएं यह सिखाती हैं कि डिजिटल युग में सूचना को नियंत्रित करना आसान नहीं। लोकतंत्र का भविष्य अब इस बात पर निर्भर करेगा कि सत्ता जनता की बात सुनने को कितनी तैयार है।

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