भारत के बाहर स्थित 12 प्रमुख शक्तिपीठ: नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के पवित्र मंदिरों की पूरी जानकारी

Edited By: Jay Dubey
Updated At: 28 September 2025 11:09:03

जानिए भारत की सीमाओं से बाहर मौजूद 12 प्रसिद्ध शक्तिपीठों का धार्मिक महत्व, इतिहास और यात्रा से जुड़ी अहम जानकारी।

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भारत के बाहर प्रसिद्ध 12 शक्तिपीठों का परिचय

देवी सती के अंगों या आभूषणों के गिरे स्थानों को शक्तिपीठ माना जाता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार, कुल मिलाकर 51 शक्तिपीठ हैं। इनमें से कुछ भारत की सीमा से बाहर पड़ने वाले देशों में हैं — जहाँ स्थानीय लोगों में भी इनकी गहरी आस्था है। ये देश पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका हैं। नीचे उन 12 शक्तिपीठों का विवरण है जो भारत के बाहर स्थित हैं:

  1. हिंगलाज़ शक्तिपीठ (पाकिस्तान, बलूचिस्तान)
    यह कराची से लगभग 250 किलोमीटर दूर है। यहाँ माना जाता है कि सती का सिर गिरा था। हिन्दुओं दोनों देशों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण तीर्थ है।
  2. दंतकाली शक्तिपीठ (नेपाल, बिजयापुर गाँव)
    यहाँ देवी सती का दाँत गिरने की मान्यता है। भक्तों की बहुत संख्या यहाँ आती है।
  3. दक्षायणी शक्तिपीठ (तिब्बत, मानसरोवर झील के पास/नीचे)
    कहा जाता है कि यहाँ सती का दाहिना हाथ गिरा था। देवी को दक्षायणी या मनसा शक्तिपीठ के नाम से भी जाता है। यह तीर्थ स्थल कठिन रास्तों से जुड़ा है।
  4. आद्या / गंडकी शक्तिपीठ (नेपाल, गंडकी नदी के किनारे)
    इस स्थान को मां सती का बाँया गाल गिरने का स्थान माना जाता है।
  5. गुहेश्वरी शक्तिपीठ (नेपाल, बागमती नदी किनारे, पशुपतिनाथ मंदिर के पास)
    यहाँ देवी सती के दोनों घुटने गिरने की श्रद्धा है। देवी की पूजा महामाया या महाशिरा स्वरूप में होती है।
  6. इंद्राक्षी शक्तिपीठ (श्रीलंका, जाफना नल्लूर)
    मान्यता है कि माँ सती का पायल यहाँ गिरा था।
  7. यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ (बांग्लादेश, खुलना जिले का यशोर क्षेत्र)
    यहाँ देवी की बाईं हथेली गिरने की बात कही जाती है।
  8. श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ (बांग्लादेश, सिलहट जिला)
    कहा जाता है कि देवी सती का गला यहाँ गिरा। यहाँ देवी महालक्ष्मी स्वरूप में पूजी जाती हैं।
  9. सुगंधा शक्तिपीठ (बांग्लादेश, शिकारपुर से लगभग 20 कि.मी.)
    देवी की नाक (नासिका) गिरने की मान्यता है। इसे “उग्रतारा शक्तिपीठ” भी कहा जाता है।
  10. जयंती शक्तिपीठ (बांग्लादेश, सिलहट जिला, जयंतिया परगना)
    देवी की बाईं जांघ गिरने का स्थान माना गया है। यहां देवी जयंती नाम से प्रतिष्ठित हैं।
  11. चट्टल भवानी शक्तिपीठ (बांग्लादेश, चिटगांव जिले, चंद्रनाथ पर्वत)
    माना जाता है कि माँ सती की दायाँ हाथ (भुजा) यहाँ गिरा था। इस मंदिर के पास गर्म पानी के प्राकृतिक स्रोत भी हैं, जहाँ स्थानीय लोग स्नान आदि कर स्वास्थ्य लाभ मानते हैं।
  12. अपर्णा शक्तिपीठ (बांग्लादेश, भवानीपुर, बेगड़ा गांव, करतोया नदी के किनारे)
    यहाँ देवी सती की बाईं पैर की पायल गिरने की बात कही जाती है। हालांकि इस शक्तिपीठ के बारे में कुछ असमर्थितता या अनिश्चितता भी है।

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