"सिंहासन खाली करो कि जनता आती है": ढोलबज्जा में फारबिसगंज विधायक का जनता ने किया विरोध

Edited By: Jay Dubey
Updated At: 20 June 2025 22:56:15

ढोलबज्जा पंचायत में वर्षों की उपेक्षा से आक्रोशित ग्रामीणों ने विधायक का रास्ता रोका, जवाब में विधायक ने विरोध को बताया विपक्ष प्रायोजित

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Times Bharat News, फारबिसगंज (अररिया):
"सिंहासन खाली करो कि जनता आती है" — यह कोई महज़ कविता नहीं, बल्कि जनमानस की चेतावनी बनकर सामने आई जब फारबिसगंज के ढोलबज्जा पंचायत में स्थानीय विधायक का ज़बरदस्त विरोध हुआ। इस विरोध ने एक बार फिर दिखा दिया कि लोकतंत्र में जन-आक्रोश जब सड़क पर उतरता है, तो नेताओं के लिए केवल भाषण देना काफी नहीं होता — काम दिखना चाहिए।

विकास के नाम पर छलावों से भड़की जनता : ढोलबज्जा पंचायत के ग्रामीणों ने विधायक पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पंचायत में वर्षों से कोई ठोस विकास नहीं हुआ। ना पुल बना, ना नहरों की सफाई हुई, और सड़कें भी गड्ढों में तब्दील हैं। ग्रामीणों का आरोप था कि चुनाव से पहले हर बार बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन जीतने के बाद क्षेत्र की सुध नहीं ली जाती।

एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कैमरे पर कहा, "दस साल में एक बार भी विधायक आए क्या? अब चुनाव पास आया तो शिलान्यास का ड्रामा शुरू हो गया है। पुल का वादा किया था, वो भी भूले, और विकास भी भूल गए।"

विरोध स्थल पर हालात गर्म, विधायक को घेरने की कोशिश : जब विधायक शिलान्यास के लिए क्षेत्र में पहुंचे, तो जनता का गुस्सा फूट पड़ा। कुछ ग्रामीणों ने खुलेआम कहा कि “वोट मांगने आते हैं लेकिन काम करने कभी नहीं आते।” स्थानीय लोगों ने सवाल किया कि इतने वर्षों में एक पुल या नहर तक क्यों नहीं बनी? ग्रामीणों ने साफ किया कि अब वे सिर्फ वादों पर नहीं, कार्यों पर वोट देंगे।

विधायक ने दी प्रतिक्रिया

विधायक ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, “जहां शिलान्यास कार्यक्रम चल रहा था, वहीं कुछ लोगों ने मंदिर के नाम पर 10 हज़ार रुपये चंदा मांगकर माहौल खराब करने की कोशिश की। हमसे जबरन वसूली की मांग की गई। ये विरोध प्रायोजित था, चुनावी साजिश का हिस्सा है।” विधायक ने दावा किया कि विरोध करने वाले विपक्षी दलों से प्रेरित थे और चुनाव को देखते हुए इसे हवा दी जा रही है। विधायक ने आगे कहा, “डोल बजाने वाले चुनाव के समय ही आते हैं। विरोधियों को काम की प्रशंसा करनी चाहिए, लेकिन वे केवल माहौल बिगाड़ने में लगे हैं।”

राजनीतिक समीकरण और जन विश्वास की परीक्षा

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब 2025 के विधानसभा चुनावों की बिसात बिछ चुकी है। इस विरोध ने स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को झकझोर दिया है। ढोलबज्जा की जनता ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब “वोट का अधिकार” सिर्फ नेता के नाम नहीं, उसके काम के आधार पर मिलेगा।

राजनीतिक संकेत:
इस घटना ने यह तो साफ कर दिया है कि जनता अब जनप्रतिनिधियों से केवल भाषण नहीं, बल्कि धरातल पर काम चाहती है। ढोलबज्जा में जो कुछ हुआ, वह न सिर्फ फारबिसगंज बल्कि पूरे राज्य की राजनीतिक हवा का रुख दिखाता है।

देखिए विशेष रिपोर्ट Times Bharat News के कैमरे से... 

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