सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर आंशिक स्टे, विवादित प्रावधानों पर रोक
नयी दिल्ली से, 15 सितंबर 2025

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं, ने यह फैसला सुनाया कि पूरे अधिनियम को तुरंत नहीं रोका जाएगा, लेकिन कई विवादित प्रावधानों पर रोक लगा दी गई है।
🔍 किन प्रावधानों पर रोक लगी?
- इस्लाम में कम-से-कम पांच साल की प्रैक्टिस की अनिवार्यता — यानी अगर कोई व्यक्ति वक्फ करना चाहता है तो उसे इस्लामिक आचार-व्यवहार में कम-से-कम पाँच साल पूर्व से सक्रिय होना चाहिए। इस प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाया।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या सीमित करने वाला प्रावधान — अब बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकेंगे।
- जिला कलेक्टर को यह अधिकार देने वाले प्रावधान पर रोक — जिससे यह निर्धारित हो सके कि क्या किसी वक्फ घोषित संपत्ति को सरकारी संपत्ति माना जाए।
✅ कहाँ संतुष्टि मिली, कहाँ प्रतिबंध?
- समर्थकों ने कहा कि अधिनियम के बहुत से प्रावधान अभी भी लागू रहेंगे।
- वक्फ की संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर जो डर था, वह कम हुआ है, क्योंकि उन प्रावधानों पर रोक है जो विवादित थे।
- विरोधी पक्ष ने भी इसे एक मध्य रास्ता माना है — अधिनियम पूरा नहीं टला, पर विवादास्पद हिस्सों पर रोक लगा दी गई।
⚖️ न्यायालय ने क्या कहा?
- कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जहाँ विधेयक की संवैधानिकता पर सवाल हो, पूर्वधारणा विधायिका के पक्ष में होती है।
- लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट किया कि “दुर्लभतम स्थिति (rarest of rare)” में ही पूरे अधिनियम पर रोक लगती है।
🗣️ राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
- कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि यह निर्णय “बहुत राहत देने वाला” है।
- अधिनियम के समर्थक, जैसे अश्विनी उपाध्याय और बरुण ठाकुर, मानते हैं कि अधिनियम का अधिकांश भाग बरकरार है और केवल कुछ हिस्सों पर ही रोक लगी है।