बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी बनाम नीतीश, आरोप-प्रत्यारोप से गरमाई सियासत
सरकारी योजनाओं का श्रेय, अति पिछड़ा वर्ग की राजनीति और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच बिहार की राजनीति में घमासान तेज

बिहार राजनीति: चुनाव से पहले आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति गरमाई
पटना — आगामी 2025 के विधानसभा चुनावों को लेकर बिहार में राजनीतिक तापमान तेज होता जा रहा है। इस दौर में पार्टियां एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाने में तिलस्मी कमी नहीं दिखा रही हैं। जदयू ने प्रतिपक्ष पर “क्रेडिट चोर” होने का आरोप लगाया है, तो महागठबंधन के लोग केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का श्रेय उन्हें लेने का विरोध कर रहे हैं। वहीं, प्रशांत किशोर और अशोक चौधरी के बीच भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप ने राजनीतिक माहौल को और संवेदनशील बना दिया है।
“क्रेडिट चोर” और “क्रेडिट लेने” की जंग
राजद नेता तेजस्वी यादव लगातार यह दावा कर रहे हैं कि राज्य सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाना, मानदेय संशोधन करना, रोजगार संबंधी कदम लेना और राज्य नौकरियों में डोमिसाइल लागू करना — ये सभी उनकी राजनीतिक सोच का हिस्सा हैं। उनका जोर है कि ये निर्णय उन्होंने ही योजना-प्रस्ताव में शामिल किए थे।
जदयू नेताओं की प्रतिक्रिया कड़ी रही। उनका कहना है कि ये काम वास्तव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की प्राथमिकताओं और शासन के निर्णयों का नतीजा हैं — जबकि तेजस्वी उनसे “क्रेडिट चुराने” में लगे हुए हैं। उनके अनुसार, “कर्म” सरकार का है, “शुभचिंतक” विपक्ष इसे अपने नाम लिखने में व्यस्त है।
अति पिछड़ा वर्ग का मुद्दा: कौन देता है अधिक?
अति पिछड़ा वर्ग (A P) मामलों को लेकर भी दोनों गठबंधनों में आरोप-चालन का सिलसिला जारी है। महागठबंधन पहले ही अति पिछड़ा वर्ग के लिए विशेष संकल्प जारी कर चुका है। लेकिन एनडीए ने असमंजस पूछा है: जब जदयू-एनडीए ने अति पिछड़ा वर्ग से संबंधित योजनाएं शुरू की हों, तब विपक्ष की पैनी निंदा क्यों?
एनडीए का तर्क है कि बिहार में कांग्रेस और राजद की सरकारों ने लंबे समय तक शासन किया, लेकिन इस समाज को संवेदनशील योजनाओं या विशेष आयोग तक का लाभ नहीं मिला। उन आरोपों के अनुरूप, ये अगर जदयू-एनडीए की पहल है, तो पहले उन्हें ही वह श्रेय मिलता।
प्रशांत किशोर बनाम अशोक चौधरी: सीधी टक्कर
राजनीतिक विवादों में एक और प्रमुख मसला है — जनसुराज अभियान के नेतृत्वकर्ता प्रशांत किशोर ने जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व ग्रामीण विकास मंत्री अशोक चौधरी पर 200 करोड़ रुपये की अवैध सम्पत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है।
अशोक चौधरी ने इन आरोपों को बिना तथ्य के और हड़कंप में लगाए गए फैसला करार दिया है। उन्होंने मानहानि का दावा करने की बात कही है। इस बीच, प्रशांत किशोर ने भाजपा नेता संजय जायसवाल पर भी ऐसे ही आरोप लगाये हैं। इस तरह “वन-टू-वन” प्रतिद्वंद्विता का यह दौर और आगे बढ़ने की पूरी संभावना है।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति इस समय परस्पर आरोप-प्रत्यारोप के चक्रव्यूह में उलझी है। सरकारी कामकाज, सामाजिक योजनाएं और सत्ता का उपयोग — हर स्वरूप पर राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हैं। चुनाव करीब आते ही यह पारदर्शिता नहीं, बल्कि आक्रामक बयानबाज़ी ही जनता तक पहुंचने का जरिया बनती जा रही है। इस क्लाइमेक्स में, किस दल की कहानी जनता तक गूंजेगी, यह समय ही बतायेगा।